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भगवान रूठ जाए तो मत घबराना, गुरु न रूठे ये ख्याल रखना -मुनिश्री

जगत में दो ही लोग ऐसे होते हैं, जिनका दिल अपनी संतान को बढ़ता हुआ देखकर प्रसन्न होता है। पिता और गुरु का दिल। पिता के अरमान आकाश से भी ऊंचे होते हैं और मां की ममता पृथ्वी से भी भारी होती है। माता-पिता और गुरु की कृपा हमेशा बनी रहना चाहिए। भगवान अगर एक बार रूठ जाएं तो इतना घबराने की आवश्यकता नहीं है, मगर गुरु कभी नहीं रूठना चाहिए, क्योंकि गुरु ही परमात्मा से मिलने का द्वार है।
ऑनलाइन धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह बात क्रांतिवीर मुनि प्रतीकसागर महाराज ने कही। उन्होंने बताया क्रोध धर्म निरपेक्ष है, सभी को आता है, मगर याद रखें क्रोध करने के बाद बैर कभी न पालें। गुस्सा करना दुर्भाग्य है, प्रेम करना सौभाग्य। गुस्से में आपके कारण किसी की आंखों में आंसू आते हैं पर प्रेम में आपके लिए दूसरों की आंखों में आंसू आते हैं। सप्ताह में 7 दिन होते हैं। अगर सोमवार को गुस्सा आए तो अपने आपसे कहिए आज तो सोमवार है सप्ताह की शुरुआत कलह से न हो, मंगलवार को यह सोचकर गुस्सा मत करिए मंगल को कौन सा अमंगल, बुधवार को युद्ध क्यों करें, गुरुवार को सोचो आज तो गुरु का दिन है, शुक्रवार शुक्रिया अदा करने का वार है, शनिवार को भूल से भी गुस्सा मत करिए, शनि की महादशा लग जाएगी, रविवार छुट्टी का दिन है आज गुस्से की छुट्टी है। जिंदगी में हमेशा दिमाग को ठंडा रखिए, आंखों में शर्म रखिए दिल में रहम और जुबान को नरम रखें। यह सूत्र जिंदगी के लिए आनंददायी है।

पुष्पगिरि के लिए मुनिश्री ने किया शाम को विहार
क्रांतिवीर मुनि प्रतीकसागर महाराज ने धर्मसभा के पश्चात सोमवार शाम 5.30 बजे जैन कॉलोनी नागदा से पुष्पगिरि तीर्थ के लिए मंगल विहार किया।

क्राेध में बनाया गया भोजन भी जहर
मुनिश्री ने आगे कहा कि क्रोध को अपने जीवन का हिस्सा मत बनाइए। यह एक ऐसी आग है जो जलती तो दूसरे को जलाने के लिए, पर अंततः स्वयं को ही जला बैठती है। यह चिंगारी की तरह उठती है पर ज्वालामुखी की तरह धधकती है। कभी भी कोई भी निर्णय गुस्से में ना लें। बाप भी अगर गुस्से में आकर बेटे को घर छोड़ने के लिए कहे तो बेटा घर छोड़कर ना जाएं, क्योंकि उस समय बाप नहीं बोल रहा है, बाप के अंदर क्रोध रूपी शैतान बोल रहा है‌। मजे की बात तो यह है हर क्रोध करने वाला गुस्सा करने के बाद पश्चाताप से भर जाता है। इसीलिए तो कहा है क्रोध तात्कालिक पागलपन है, जो आदमी की बुद्धि और विवेक को समाप्त कर देता है। माता बहनों को क्रोध के समय ना भोजन बनाना चाहिए ना स्वयं करना चाहिए ना अन्य को खिलाना चाहिए। क्रोध के समय बनाया गया भोजन विषाक्त हो जाता है।



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If God is angry then do not panic, take care not to be angry with the Guru - Munishree


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