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कोरोनामहामारी के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन के पहले दो चरण में शराब की दुकानें बंद रखी गईं। तीसरे चरण में रेड, ऑरेंज और ग्रीन तीनों जोन में शर्तों के साथ अल्कोहल की बिक्री की इजाजत दी गई है। हालांकि, जब दुकानें खुलीं तो कई शहरों में दुकानों के बाहर शराब के शौकीनों की भीड़ जमा हो गई। इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न हो पाने और महामारी के तेजी से फैलने का खतरा पैदा हो गया। इस स्थिति को भांपते हुए फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो अब शराब की होम डिलीवरी की तैयारी में भी जुट गई।
मीडिया रिपोर्ट्स में जोमैटो के हवाले से कहा गया है,‘अगर टेक्नोलॉजी की मदद से शराब की होम डिलीवरी की जाती है, तो शराब की खपत को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही संक्रमण फैलने के खतरे को भी कम किया जा सकता है।’ समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जोमैटो ने इस बारे में शराब इंडस्ट्री बॉडी इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसडब्ल्यूएआई) को अप्रैल के मध्य में एक प्रस्ताव भी भेजा है। प्रस्ताव में जोमैटो ने कहा है कि वो उन्हीं जगहों पर यह सुविधा देगी, जहां कोरोना का संक्रमण कम है।
आईएसडब्ल्यूएआई भी जोमैटो के प्रस्ताव सहमत
मौजूदा समय में शराब की होम डिलीवरी के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। आईएसडब्ल्यूएआई भी जोमैटो के प्रस्ताव सहमत है। इसके एक्जीक्यूटिव चेयरमैन अमृत किरण सिंह ने कहा कि राज्यों को अल्कोहल की होम डिलीवरी की इजाजत देनी चाहिए। इससे लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में भी उनका राजस्व बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर शराब की होम डिलीवरी शुरू होती है तो इसके दुकानों पर लोड घटेगा और भीड़ कम होगी।
करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए है भारत का अल्कोहल मार्केट
2018 में भारत का अल्कोहल मार्केट 2 लाख करोड़ रु. से अधिक था। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना का प्रकोप फैलने से पहले यह 2.50 लाख करोड़ रु. के आसपास पहुंच गया होगा। राज्यों के लिए भी शराब रेवेन्यू का बड़ा जरिया है। राज्यों को शराब पर एक्साइज ड्यूटी लगाने से 10-15% राजस्व आता है। राज्यों के खुद के टैक्स रेवेन्यू श्रेणी में एक्साइज ड्यूटी दूसरे या तीसरे नंबर पर आती है। जीएसटी पहले नंबर पर है। आरबीआई के मुताबिक, 2019-20 में 29 राज्यों, दिल्ली और पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में शराब पर एक्साइज से कुल 1.75 लाख करोड़ का बजट बना था।
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