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UK के बाद दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया में सामने आए कोरोना के नए स्ट्रेन; जानिए क्या होगा वैक्सीन पर असर

कोरोनावायरस का एक और नया स्ट्रेन मिला है। नया स्ट्रेन यानी कोरोना का नया रूप। अभी कुछ दिन पहले यह UK में मिला था और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ ही नाइजीरिया में ये नए स्ट्रेन सामने आए हैं

इन खबरों के बीच भारत ने फिलहाल UK से आए पैसेंजर्स का RT-PCR टेस्ट जरूरी कर दिया है। ताकि वे नए स्ट्रेन के कैरियर न बनें और अपने देश में नया कोरोना न फैलने लगे। इन सबके बीच नए स्ट्रेन कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। मसलन- क्या नए स्ट्रेन से कोरोना का वायरस तेजी से फैलेगा? क्या जांच के मौजूदा तरीके इन स्ट्रेन का पता लगा सकते हैं? जो वैक्सीन बन रही हैं, क्या यह नए स्ट्रेन पर असर करेंगी? आइए समझते हैं, इसके बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं...

क्या इन बदलावों से वैक्सीन पर असर पड़ेगा?

फिलहाल तो नहीं पड़ेगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के पूर्व साइंटिस्ट डॉ. रमन गंगाखेड़ेकर के मुताबिक, जो वैक्सीन बन रही हैं, वह पूरे स्पाइक प्रोटीन को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। इस समय वायरस के एक हिस्से में बदलाव दिखा है। इसके आधार पर यह नहीं कह सकते कि नई वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी।

तो क्या जो वैक्सीन बन रही हैं, वह कारगर होगी?

हां, बिल्कुल। देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि जो वैक्सीन बन रही हैं, वह स्पाइक प्रोटीन के अलग-अलग हिस्सों को टारगेट करती हैं। वायरस के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनाती हैं। इस समय वायरस में कुछ बदलाव दिखे हैं, जिससे वैक्सीन की एफिकेसी पर असर नहीं पड़नी चाहिए। पर उन्होंने चेताया भी कि इन म्युटेशन पर नजर रखी जा रही है। अगर यह तेजी से बढ़े और बड़ी संख्या में होते चले गए तो हो सकता है कि हमें नई वैक्सीन बनाने पर काम करना पड़े। पर घबराने की जरूरत नहीं है। यह बदलाव एकाएक नहीं होगा। इसमें महीने या वर्ष भी लग सकते हैं। इस समय वैज्ञानिक स्टडी कर रहे हैं। जैसी परिस्थिति बनेगी, उस अनुसार स्ट्रैटजी बनाई जाएगी।

वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां क्या कह रही हैं?

वैक्सीन बना रही फाइजर, मॉडर्ना समेत अधिकांश कंपनियों का दावा है कि उनकी वैक्सीन कोरोना के नए स्ट्रेन पर भी कारगर होगी। बदलते वायरस का उनकी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर असर नहीं होने वाला। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल यानी CDC के मुताबिक अगर वायरस को नेचुरल इंफेक्शन या वैक्सीन के असर से बचना है तो उसके स्पाइक प्रोटीन को कई और म्युटेशन से गुजरना होगा। WHO ने भी कहा है कि लैबोरेटरी स्टडी हो रही हैं। इसमें देखा जा रहा है कि क्या इन नए वायरस के जैविक गुणों में कोई बदलाव तो नहीं है। इस समय वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर स्ट्रेन से जुड़ी पर्याप्त जानकारी नहीं है।

क्या है कोरोनावायरस में हो रहे बदलाव?

हर जीवित प्राणी की तरह वायरस में भी बदलाव हो रहे हैं। SARS-CoV-2 यानी कोरोनावायरस जैसे RNA वायरस में प्रोटीन अमीनो एसिड्स के खास सीक्वेंस से बनते हैं। सरल शब्दों में अगर वायरस एक दीवार तो उसमें लगने वाली ईटें अमीनो एसिड्स। कोरोना जैसे वायरस में 30 हजार बेस पेयर होती हैं यानी 30 हजार ईटें। जैसे ही इन बेस पेयर की पोजिशन बदलती है, उस वायरस का आकार और व्यवहार बदल जाता है। खास तौर पर इंसानों के शरीर को इंफेक्ट करने वाले स्पाइक प्रोटीन का व्यवहार बदल जाता है। ब्रिटेन में जो वैरिएंट मिला, उसे VUI 202012/01 नाम दिया है। अब तक की रिसर्च से पता चला कि यह पहले के मुकाबले 70% अधिक तेजी से फैलता है। गहराई से जांच करने पर पता चला कि 14 बदलाव हुए हैं और पुराने वायरस के मुकाबले जेनेटिक मटेरियल में 3 सिक्वेंस डिलीट भी हुए हैं।

इन बदलावों से खतरा क्यों बढ़ गया है?

कोरोनावायरस के आकार में हुए बदलाव उस जगह हुए हैं, जहां से यह इंसानों के शरीर में प्रवेश करते हैं। यानी शरीर को इंफेक्ट करते हैं। अमीनो एसिड्स के जो सीक्वेंस डिलीट हुए हैं, वह भी उस जगह पर है, जहां से वे इंसानों से जुड़ते हैं। WHO का कहना है कि अमीनो एसिड्स के डिलीट होने से कुछ RT-PCR टेस्ट की परफॉर्मेंस प्रभावित हो सकती है। फिर भी दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता।

अब तक किस तरह के बदलाव हुए हैं?

कोरोनावायरस में कई तरह के बदलाव हुए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार है-

N501Y: ब्रिटेन में यह स्ट्रेन मिला है। इसमें अमीनो एसिड को N लिखा गया है। यह कोरोनावायरस के जेनेटिक स्ट्रक्चर में पोजिशन-501 पर था। इसे अब Y ने रिप्लेस कर लिया है।
P681H: नाइजीरिया में मिले इस कोरोनावायरस स्ट्रेन में पोजिशन-681 पर अमीनो एसिड P को H ने रिप्लेस कर दिया है। अमेरिका के CDC के मुताबिक, इस पोजिशन में बदलाव कई बार हो चुका है।
HV 69/70: यह स्ट्रेन कोरोनावायरस में पोजिशन-69 और 70 पर अमीनो एसिड्स के डिलीट होने का नतीजा है। फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका में भी वायरस में यह बदलाव दिखा है।
N439K: ब्रिटेन में कोविड-19 जेनोमिक्स कंसोर्टियम (CoG-UK) के रिसर्चर्स ने इस नए वैरिएंट के बारे में बताया था। इसमें पोजिशन-439 पर स्थित अमीनो एसिड N को K ने रिप्लेस किया है।



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