डोनाल्ड ट्रम्प यह कार्यकाल अमेरिका के लिए देश और विदेश में घातक साबित हुआ। उन्होंने अपने पावर्स का गलत इस्तेमाल किया और राजनीतिक विरोधियों को उनके वाजिब हक नहीं दिए। कुछ ऐसी चीजें भी कीं, जिनका असर पीढ़ियों तक दिखेगा। जनता के हितों से ज्यादा अपने कारोबारी और राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखा। अमेरिकी नागरिकों की जिंदगी और उनकी आजादी का सम्मान नहीं किया। सही बात तो ये है कि वो इस पद के लायक ही नहीं हैं।
आलोचना होती रहेगी
ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान भी हम नस्लवाद और बंटवारे की नीतियों की आलोचना करते रहे। हमने हर बार और हर मौके पर उनकी बंटवारे वाली नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। वे अपने ही देश के लोगों के खिलाफ बोलते रहे और हमने हमेशा इसका विरोध किया। ये बात सही है कि सीनेट ने राष्ट्रपति को ताकत के बेजा इस्तेमाल और बाधा डालने का कसूरवार नहीं ठहराया। लेकिन, हमने इस बात की कोशिश जारी रखी कि उनके राजनीतिक विरोधी ट्रम्प के खिलाफ गुस्से को बैलट बॉक्स तक पहुंचाने में कामयाब हों।
तीन नवंबर टर्निंग पॉइंट होगा
तीन नवंबर को चुनाव होगा। और यह दिन टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। बहुत साफ तौर पर कहें तो यह चुनाव देश का भविष्य निर्धारित करेगा। इसके जरिए नागरिकों को वह रास्ता मिल सकता है, जिस पर वे चलना चाहते हैं। अमेरिका के नागरिकों ने ट्रम्प के चार साल के पहले कार्यकाल को झेला। अगर वे फिर चार साल के लिए चुने जाते हैं तो अमेरिका के लिए इससे बुरा कुछ नहीं होगा।
खतरा बन रहे हैं ट्रम्प
वोटिंग के लिए लोग लाइन में लगे हैं। इस दौर में भी ट्रम्प डेमोक्रेटिक प्रॉसेस को तबाह करने की कोशिश कर रहे हैं। वो उन परंपराओं को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं जो उनके पहले के राष्ट्रपति ने बनाईं। शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर रहे हैं। वे दावा करते हैं कि चुनाव तभी सही होगा जब उनकी जीत होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे सत्ता की जंग को अदालतों और सड़कों तक ले जाएंगे। अब यह मौका है जब अमेरिका इस गुस्से को रोक सकते हैं।
देश के लिए फिट नहीं हैं ट्रम्प
इन हालात में हम देश को यह फिर याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि ट्रम्प देश के नेता के तौर पर फिट नहीं हैं। उनके पिछले कार्यकाल में हिंसा, भ्रष्टाचार और सत्ता से खिलवाड़ हुआ। क्लाइमेट चेंज, इमीग्रेशन, महिला अधिकार और नस्लवाद जैसे मुद्दों पर उनका रिकॉर्ड देखिए। इन मुद्दों पर सुधार के लिए जरूरी है कि ट्रम्प अब सत्ता में न रहें। अगर वे हार भी जाते हैं तो नुकसान की भरपाई में कई साल लग जाएंगे। वे अमेरिकी इतिहास के सबसे खराब राष्ट्रपति साबित हुए। चार साल में देश की ज्यादातर दिक्कतें इसलिए हल नहीं हो पाईं क्योंकि सबसे बड़ी दिक्कत ही राष्ट्रपति थे।
पर्यावरण पर कुछ नहीं किया
पर्यावरण के मुद्दे पर ट्रम्प चुप रहे। इस मुद्दे पर किसी से सहयोग नहीं किया। इमीग्रेशन पर उनकी कोई नीति ही नहीं थी। हेल्थ केयर पर जो बराक ओबामा के कार्यकाल में हुआ, उस बिल को ही उन्होंने बदल दिया। ये भी अब तक नहीं बताया कि इसकी जगह क्या नया करेंगे। लाखों अमेरिकी बेरोजगार हो गए। वे आम आदमी की बात करते हैं लेकिन काम अमीरों के लिए करते हैं। नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन और रूस के पुतिन जैसे लोगों के साथ नजर आते हैं। चीन से मुकाबले के नाम पर लाखों अमेरिकियों का टैक्स दांव पर लगा दिया लेकिन बदले में अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ।
महामारी पर काबू पाने में नाकाम
महामारी के इस दौर में यह साबित हो गया कि नेता के तौर पर ट्रम्प नाकाम हैं। लोगों की जान बचाने के बजाए वे इसे पब्लिक रिलेशन प्रॉब्लम बता रहे हैं। कोरोना के खतरे को नजरअंदाज किया और नतीजा सामने है। खुद भी संक्रमित हुए। वायरस की रोकथाम या इस पर काबू पाने के पहले ही इकोनॉमिक एक्टिविटीज को शुरू करने पर जोर दे रहे हैं। बेरोजगारों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन ट्रम्प को इसकी फिक्र नहीं है। वायरस अब तक दो लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है।
नतीजों पर अभी से चिंता क्यों
अभी चुनाव नहीं हुआ है। लेकिन, ट्रम्प वोटिंग को लेकर महीनों पहले से सवाल खड़े कर रहे हैं। वे मेल इन बैलट में फ्रॉड की आशंका जताते हैं और खुद इसी तरीके से वोटिंग करते हैं। रिचर्ड निक्सन और रोनाल्ड रीगन के दौर में भी सत्ता का गलत इस्तेमाल हुआ। बुश और क्लिंटन के दौर में भी बड़ी गलतियां हुईं। लेकिन ट्रम्प आगे निकल गए। उन्होंने अपनी राष्ट्रपति के तौर पर ली गई शपथ का भी पालन नहीं किया। अमेरिकी संविधान को नहीं माना। अब मतदाताओं की बारी है कि वे पिछले चुनाव में की गई गलतियों को सुधारें।
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