(मारिया क्रेमर, क्लेयर मोसेस) नीदरलैंड्स की डच सरकार ने डॉक्टरों को लाइलाज या गंभीर रूप से बीमार बच्चों का जीवन खत्म करने की अनुमति दे दी है। अब डॉक्टर अपने तरीके से ऐसे बीमार बच्चों का जीवन खत्म कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें बच्चों के माता-पिता की इजाजत लेनी होगी। दूसरी ओर इस निर्णय से चिकित्सा क्षेत्र में मौत दिए जाने को लेकर बहस छिड़ गई है।
कुछ संगठनों का कहना है कि यदि उन बच्चों को दवाओं के जरिए जिंदा रखा जा सकता है तो उन्हें इस प्रकार की मौत क्यों दी जानी चाहिए। हालांकि ज्यादातर विशेषज्ञ और कानून निर्माता इस नए कानून से सहमत हैं। दरअसल, नीदरलैंड्स में एक साल तक के लाइलाज बीमारी से ग्रसित बच्चों को मौत देने की अनुमति है।
इसे लेकर डच स्वास्थ्य मंत्री ह्यूगो डी जॉन्ग ने बीमार बच्चों को मौत दिए जाने वाले कानून में विस्तार का प्रस्ताव रखा। ताकि 12 साल तक के बच्चों को नए कानून में शामिल किया जा सके। उन्होंने मंगलवार को संसद में कहा- ‘कुछ बच्चे बहुत बीमार होते हैं। उनमें किसी तरह से सुधार की उम्मीद नहीं होती है। वे अनावश्यक रूप से पीड़ित होते हैं। हर साल ऐसे लगभग 5 से 10 बच्चे प्रभावित होते हैं।
यदि कोई बच्चा ‘असहनीय और निराशाजनक पीड़ा’ का सामना कर रहा है तो उसका जीवन समाप्त किया जा सकता है। इससे चिकित्सा क्षेत्र की सहायता हो सकती है।’ फिलहाल यह कानून पास हो गया। नए कानून को लेकर विशेषज्ञ बताते हैं- ‘नीदरलैंड्स सरकार चिकित्सा सहायता से ऐसे लोगों को मौत देने की पक्ष में रही है, जिनके ठीक होने की संभावना बिल्कुल न हो।’
3 यूरोपीय देशों में है प्रावधान: लक्जमबर्ग, बेल्जियम और स्विटजरलैंड चिकित्सक-सहायता प्राप्त मृत्यु की अनुमति देते हैं। हालांकि कानून हर देश में अलग होते हैं। बेल्जियम एक डॉक्टर की मदद से बच्चों को मरने की अनुमति देता है। लेकिन लक्जमबर्ग में यह कानून असाध्य बीमार वयस्कों तक सीमित है।
अमेरिका जैसे बड़े देशों के लिए समस्या बन सकता है नया कानून
अमेरिका के न्यूयॉर्क लैंगॉन मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर आर्थर काप्लान बताते हैं- ‘यह नया कानून नीदरलैंड्स जैसे छोटे देशों के लिए ठीक है। इस कानून से अमेरिका जैसे बड़े देशों के ऊपर दबाव बढ़ेगा। खासतौर से उन वयस्क लोगों के संबंध में जो गंभीर रूप से बीमार हैं, लेकिन अपनी सहमति देने में असमर्थ हैं।
मुझे संदेह है कि अमेरिका या दूसरे बड़े देश नीदरलैंड्स के इस कानून को फॉलो करेंगे। डच नागरिकों की तुलना में अमेरिकी अपने मेडिकल सिस्टम पर कम भरोसा करते हैं। अमेरिका बड़ा देश है। ऐसे देशों में सभी के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। इस स्थिति में बड़े देशों में यह कानून समस्या बन जाएगा।’
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